प्राचीन भारत में उज्जयनी
उज्जयनी का अर्थ विजयनी से होता है जिसका पली समान्तर उज्जयनी है वैसे उज्जयनी संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ इस प्रकार किया जा सकता है उत+जयनी अर्थात उत्कर्ष के साथ विजयी करने वाली | स्कन्द पुराण के २८ वे अद्ज्याय में इसका वर्णन आता है उसके अनुसार अवंती की राजधानी अवान्तिकपुर्थी जो उज्जयनी कहलाई थी अवंतिका के देव अध्यक्ष में महादेव की त्रिपुरा या त्रिपुरी के शक्तिशाली राक्षस अध्यक्ष पर विजयी पा लेने के स्मृति स्वरुप अवंतीपुर का नाम उज्जयनी कर दिया था यदि इस रूपक को समजने का प्रयास करे तो यहाँ दन्त कथा इस बात की और स्पष्ट निर्देश करती है की अवंती के लोग त्रिपुरी के शासक जाती पर विजयी स्मृति स्वरुप इसका नाम उज्जयनी रखा था इसी पुराण में यह भी विदित होता है की उज्जैन के इसके पूर्व भी ६ कल्पो में ६ नाम हो चुके है प्रथम कर्ल्प में स्वर्णश्रंगा कहलाई थी दुसरे में कुशस्थली तीसरे में अवंतिका चतुर्थ में अमरावती पञ्च में चुडामणि कहते कल्प में इसका नाम पद्मावती हुआ इससे यह आशय है की उज्जयनी नाम बहुत बाद में आया |