मंगल ग्रह
नवग्रह में सूर्य के पश्चात् सर्वाधिक महत्तवपूर्ण ग्रह है मंगल। मंगल जातक की जन्मकुंडली के विविध खानों में विराजमान होता है। यह ग्रह जन्मकुंडली के भिन्न-भिन्न खानों में विराजमान होने से उसका फल भी भिन्न-भिन्न होता है। यदि मंगल जातक की जन्मकुंडली में विराजमान है और जातक के लिए अशुभ है तो जातक के जीवन में अशुभ परिणाम भी निर्मित करता है। मंगल ग्रह प्रतिकूल होने पर जातक को परिणामस्वरूप अनेक प्रकार कि विध्न-बाधाएं, परेशानीयांे का सामना करना पडता है। अतः तब मंगल की शांति कराना अनिवार्य हो जाता है। यदि समय पर उसकी शांति के उपाय या उसके लिए भातपूजन आदि न करवाये जाए तो उससे जातक को भयंकर परिणाम भी प्राप्त होेते है।
मंगल ग्रह से होने वाली हानिया
यदि मंगल ग्रह जातक कि जन्मकुंडली में विराजमान है एवं प्रतिकूल या अशुभ प्रभाव डाल रहा है, तो जातक को अनेक प्रकार कि समस्याओं को सामना करना पडता है।
- विवाहित, दंपत्य जीवन में अशांति, क्लेश, मनमुटाव आदि हमेशा बना रहता है।
- मंगल के अशुभ होने के कारण जातक की मृत्यु भी हो सकती है।
- मंगल की अशुभता के कारण जातक स्वयं अपने हाथों से अपना कार्य बिगाड लेता है।
- जातक के कार्य बनते-बनते बिगड जाते है।
- जातक को धन प्राप्ति में विध्न-बाधाएं आती हैं एवं जातक को ऋण से भी जल्दी छूटकारा नहीं मिलता।
- जातक को संतान प्राप्ति में विलंब होता है अथवा संतान प्राप्ति नहीं भी होती है।
- जातक कभी-कभी अत्यधिक क्रोधि हो जाता है।
- जातक के जीवन में मंगल अनेक प्रकार की परेशानीयां उत्पन्न करता है।
- जातक को विद्या प्राप्ति में अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पडता है, अथवा कभी-कभी विद्या भी अधूरी रह जाती है।
- जातक को जीवन में अधिक परिश्रम करना पडता है फिर भी सफलता बहुत ही कम मिल पाती है।
- जातक को मित्रों, संबंधियों आदि से धोखा मिलता है।
- जातक कितना भी अच्छा काम कर ले परंतु उसको यश की प्राप्ति नहीं होती। ईमानदार होते हुए भी बदनामी प्राप्त होती है।
मंगल ग्रह की शांति के हेतु पूजन
मंगल ग्रह की शांति हेतु भातपूजन किया जाता है, जिसे विधि-विधान एवं मंत्रोंच्चार द्वारा संपन्न किया जाता है। इस प्रकार पूजन होने के पश्चात् मंगल की शांति होती है एवं जातक के जीवन में जो भी परेशानीयां, समस्याएं, संकट आदि आते रहते थे वे सभी दूर होने लगते है। जातक उन्नति करने लगता है। जातक को धन की प्राप्ति में जो भी बाधाएं आ रही थी वो सभी दूर हो जाती है। ऋणों से मुक्ति मिलती है। अकाल मृत्यु आदि का भय समाप्त हो जाता है।
मंगल ग्रह की शांति से समस्याओं का समाधान
जीवन में यदि समस्याएं आती है तो वे मृत्यु का भय, अनहोनी की आशंका, दुर्घटना की संभावना, धन की हानि, अपयश की प्राप्ति, दुख-दरिद्रता, कष्ट-पीडाएं, गृह में क्लेश, मन में अशांति, निराशा, क्रोध, आत्महत्या के विचार, आदि चीजें भी साथ में लेकर आती है जिससे धन की हानि भी अवश्य होती हैं, अतः थोडा धन पूजन-पाठ, मंत्रजाप आदि में खर्च कर दिया जाए और उससे समस्या का समाधान होता है तो फिर धन के व्यय के बारे में एक क्षण भी विचार नहीं करना चाहिए क्यांेकि समस्याओं के छुटकारे से बढकर धन कभी नहीं होता।
मंगल की शांति का पूजन विधि-विधान से होता है। इसके पूजन में अनेक प्रकार की सावधानियां, नियम-संयम का ध्यान रखा जाता है। अगर उन बातों का ध्यान नहीं रखा जाए एवं पूजा-पाठ करा दि जाए तो उसके पूजन का संपूर्ण लाभ जातक को प्राप्त नहीं होता एवं उसकी समस्याएं ज्यों की त्यों बनी रहती है इन सभी बातों का ध्यान पंडिजी द्वारा रखकर पूजन करवाया जाता है जिससे जातक को पूर्ण लाभ हो सके एवं इस मंगल की शांति हो सके तथा जातक की समस्याओं का निवारण हो सके।