सिंहस्थ कुम्भ
सिंहस्थ उज्जैन का महान स्नान पर्व है। बारह वर्षों के अंतराल से यह पर्व तब मनाया जाता है जब बृहस्पति सिंह राशि पर स्थित रहता है। पवित्र क्षिप्रा नदी में पुण्य स्नान की विधियां चैत्र मास की पूर्णिमा से प्रारंभ होती हैं और पूरे मास में वैशाख पूर्णिमा के अंतिम स्नान तक भिन्न-भिन्न तिथियों में सम्पन्न होती है। उज्जैन के महापर्व के लिए पारम्परिक रूप से दस योग महत्वपूर्ण माने गए हैं।
देश भर में चार स्थानों पर कुम्भ का आयोजन किया जाता है। प्रयास, नासिक, हरिध्दार और उज्जैन में लगने वाले कुम्भ मेलों के उज्जैन में आयोजित आस्था के इस पर्व को सिंहस्थ के नाम से पुकारा जाता है। उज्जैन में मेष राशि में सूर्य और सिंह राशि में गुरू के आने पर यहाँ महाकुंभ मेले का आयोजन किया जाता है, जिसे सिहस्थ के नाम से देशभर में पुकारा जाता है। सिंहस्थ आयोजन की एक प्राचीन परम्परा है। इसके आयोजन के संबंध में अनेक कथाएँ प्रचलित है।
अमृत बूंदे छलकने के समय जिन राशियों में सूर्य,चन्द्र, गुरू की स्थिति के विशिष्ट योग के अवसर रहते हैं, वहां कुंभ पर्व का इन राशियों में गृहों के संयोग पर आयोजन होता है। इस अमृत कलश की रक्षा में सूर्य,गुरू और चन्द्रमा के विशेष प्रयत्न रहे। इसी कारण इन्हीं गृहों की उन विशिष्ट स्थितियों में कुंभ पर्व मनाने की परम्परा है।
सिंहस्थ महापर्व के अवसर पर उज्जयिनी का धार्मिक-सांस्कृतिक महत्व स्वयमेव कई गुना बत्रढ जाता है। साधु संतों का जमाव,सर्वत्र पावन स्वरों का गुंजन, शब्द एवं स्वर शक्ति का आत्मिक प्रभाव यहां प्राणी मात्र को अलौकिक शांति देता है।
सिंहस्थ (कुंभ) महापर्व धार्मिक व आध्यात्मिक चेतना का महापर्व है। धार्मिक जागृति द्वारा मानवता, त्याग, सेवा, उपकार, प्रेम, सदाचरण,अनुशासन,अहिंसा, सत्संग, भक्ति-भाव अध्ययन-चिंतन परम शक्ति में विश्वास और सन्मार्ग आदि आदर्श गुणों को स्थापित करने वाला पर्व है।
कुंभ महापर्व में भारतवासियों की आत्मा,आस्था,विश्वास और संस्कृति का शंखनाद करती है हरिद्वार,प्रयाग, नासिक और उज्जयिनी की पावन सरिताओं के तट पर। उज्जैन और नासिक का कुंभ (सिंह राशि के गुरू में) मनाये जाने के कारण सिंहस्थ कहलाते है। बारह वर्ष बाद फिर-फिर आने वाले कुंभ के माध्यम से उज्जैन के क्षिप्रा तट पर उभरता है एक लघु भारत।
भारतीय संस्कृति,आस्था ओर विश्वास के प्रतीक कुंभ का उज्जैन के लिये केवल पौराणिक कथा का आधार ही नहीं, अपितु काल चक्र या काल गणना का वैज्ञानिक आधार भी है। भौगोलिक दृष्टि से अवंतिका-उज्जयिनी या उज्जैन कर्कअयन एवं भूमध्य रेखा के मध्य बिंदु पर अवस्थित है।
भारतीय संस्कृति के समौच्च दर्शन कहां होते हैं? इस प्रश्न का सर्वाधिक निर्विवाद उत्तर है मेले और पर्व। धार्मिक दृष्टि से सिंहस्थ महापर्व की अपनी महिमा है परंतु इसके समाजशास्रीय महत्व सेभी बिरले ही इंकार करेंगे।
सिंहस्थ सामाजिक परिवर्तन और नियंत्रण की स्थितियों को समझने और तद् नुरूप समाज निर्माण का एक श्रेष्ठ अवसर है। एक मायने के हम इसे द्वादश वर्षीय ‘जन सम्मेलन’ कह सकते हैं।
सिंहस्थ पर्व का सर्वाधिक आकर्षण विभिन्न मतावलंबी साधुओंका आगमन,निवास एवं विशिष्ट पर्वों पर बत्रडे उत्साह, श्रध्दा, प्रदर्शन एवं समूहबध्द अपनी-अपनी अनियों सहित क्षिप्रा स्नान है। लाखों की संख्या में दर्शक एवं यात्रीगण इनका दर्शन करते हैं और इनके स्नान करने पर ही स्वयं स्नान करते हैं। इन साधु-संतों व उनके अखात्रडों की अपनी विशिष्ट परंपराएं हैं।