देव प्राण प्रतिष्ठा
देव प्राण प्रतिष्ठा
देव प्रतिमाओं का प्राण प्रतिष्ठा में यज्ञ-अनुष्ठान (विशेष पूजा पद्धति द्वारा आह्वान करके देव (भगवान) की प्रतिमा में प्राण की प्रतिष्ठा)
हमारे द्वारा वेदोक्त-शास्त्रोक्त-पुराणोक्त पद्धति से विद्वान् ब्राम्हणों द्वारा विधि विधान पूर्वक सम्पन्न करवाया जाता हैं.
प्राणप्रतिष्ठा का अर्थ
१. प्राण धारण कराना ।
२. हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार किसी नई बनी हुई मूर्ति को मंदिर आदि में स्थापित करते समय मंत्रों द्वारा उसमें प्राण का आरोप करना ।
(विशेष- साधारणतः जबतक किसी मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा न हो ले तबतक वह मूर्ति पूजा के योग्य नहीं होती और उसकी गणना साधारण धातु, मिट्टी या पत्थर आदि में होती है । प्राणप्रतिष्ठा के उपरांत ही उस मूर्ति में देवता का आना माना जाता है)