हमारे बारे में

महाकालेश्वर मंदिर में दो परिवार मंदिर की परहींन व्यवस्थाओ एवं सेवाओ में अनादी काल से ही है जनोईपाती एवं खुटपाती इन दोनों के द्वारा मंदिर की सेवा पूजन अर्चन अनादी काल से वर्ष परम्परानुसार होती चली आ रही है इसी परिवार में :- मांगीलालजी के पुत्र रामचंद्र जी और रामचंद्र जी के पुत्र सुरेन्द्र पुजारी एवं घनश्याम पुजारी हुए , सुरेन्द्र पुजारी के दो पुत्र संजय एवं ashish व् घनश्याम पुजारी के भी दो पुत्र मनोज एवं विकास हुए |

आशीष पुजारी :- इनका जन्म ११-२-१९७५ को अवंतिका नगरी में सुरेन्द्र एवं माँ प्रेमिला शर्मा के यहाँ हुआ | बचपन से ही धार्मिक परम्पराए एवं धार्मिक परिवार के कारण धर्म के प्रति आस्था है इसी कारण १८ साल की उम्र में ही मंदिर की परम्पराए एवं परमपराओ में अपना योगदान देना चालू किया भगवान महाकाल के आशीवाद से मंदिर के महत्व पूर्ण व्यवस्थाओ में एक समय ऐसा भी आया जब महाकालेश्वर मंदिर में एक हादसा हुआ और उस हादसे में कितने लोगो की जान चली गयी उसी समय एक घटना घटी की महाकालेश्वर मंदिर के गर्भ गृह में स्थापित रूद्रर यन्त्र शती ग्रस्त होने के कारण गिर गया एवं उस यन्त्र को बनाने के लिए मध्य प्रदेश शासन की और से कमिश्नर साहब के द्वारा एक कमिटी बनायीं गयी एवं उस कमिटी के अनुसार इस यन्त्र की स्थापना की गयी किन्तु कमिटी के अन्दर ना होते भी आपने भरी सभा में यह कह दिया की इस यन्त्र का निर्मलण मंदिर के पुजारी परिवार की तरफ से में करुगा बाबा महाकाल के आशीर्वाद से मात्र २५ दिन में उस यन्त्र का निर्माण कर मंदिर कमिटी को सौप दिया एवं उस यन्त्र को रजत कनिको द्वारा स्थापित करवाकर मंदिर की परंपरा एवं मंदिर की मर्यादा की रक्षा की बचपन से ही धार्मिक भावना होने के कारण चित कूट से इलाहाबाद १२५ किलोमीटर पैदल चलकर माघ के महीने में ४५ दिन गंगा किनारे रहकर ताप किया माँ नर्मदा के किनारे कही दिनों तक माँ की आराधना की १२ ज्योतिर्लिंग एवं चारधाम के कही बार दर्शन कर पूजन का लाभ लिया व् अमरनाथ से लगाकर मानसरोवर की यात्रा ३० वर्ष की उम्र में ही पूर्ण कर ली एवं धर्मं की रक्षा के लिए अनादीकाल से चली आ रही यज्ञो की परमपराओ को पूर्ण रूप से जीवीत करने के लिए सतत प्रयास करते चले आ रहे है इसी क्रम में सम्पूर्ण भारत वर्ष में महारूद्र याघ्या के माध्यम से अभी तक १५ बार महा यज्ञ किये जा चुके है और आगामी वर्ष में भी याघ्यो के माध्यम से हमारी परमपराओ का प्रचार किया जा रहा है गावो विश्वस्य मर्त्रह ( गाय विश्व की माता है ) का सन्देश देने के लिए महाकालेश्वर मंदिर में सर्व प्रथम गो शाला की स्थापन के लिए गाय दान करी एवं ग्वालियर के जेल में कैदियों से सवा करोड़ सुरभि मंत्र लिखवा कर विश्व में पहला सुरभि यज्ञ का प्रतिनिधित्व किया और आज भी हमारी धर्म की रक्षा के लिए मंदिर को परंपरा एवं प्राचीन भारत के महत्व को बतलाया |